अरमानो की नदी को बहने से क्यों रोक लेती हो ?
विचलित मन को चाबुक से मार क्यों टोक देती हो ?
कुछ उलझने है अनसुलझी सी क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बात को बात बनाकर क्यों टाल देती हो ?
वक़्त बिताने के लिए चाय बना लेती हो
दूर जाने के हज़ार बहाने भांप लेती हो
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
लभ तक आ चुके राज़ पर क्यों ताले लगा देती हो ?
शिकायत है कोई तो क्यों शिकवा नहीं करती हो ?
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
ख्याल आता है जब माज़ी का तो तुम कैसे सेहम जाती हो
चट्टानों से तकराकर तुम हारी हुई लेहरो सी क्यों टूट जाती हो ?
मै पढ़ना चाहता हु तम्हे ,तुम क्यों इस बंध किताब को नहीं खोल पाती हो ?
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बेवफाई का हो चुकी हो शिकार इसलिए दिल तोड़ देती हो
नज़दीकयों से खुद को परे रख कर ,इसलिए खुद हे छोड़ देती हो
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
विचलित मन को चाबुक से मार क्यों टोक देती हो ?
कुछ उलझने है अनसुलझी सी क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बात को बात बनाकर क्यों टाल देती हो ?
वक़्त बिताने के लिए चाय बना लेती हो
दूर जाने के हज़ार बहाने भांप लेती हो
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
लभ तक आ चुके राज़ पर क्यों ताले लगा देती हो ?
शिकायत है कोई तो क्यों शिकवा नहीं करती हो ?
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
ख्याल आता है जब माज़ी का तो तुम कैसे सेहम जाती हो
चट्टानों से तकराकर तुम हारी हुई लेहरो सी क्यों टूट जाती हो ?
मै पढ़ना चाहता हु तम्हे ,तुम क्यों इस बंध किताब को नहीं खोल पाती हो ?
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बेवफाई का हो चुकी हो शिकार इसलिए दिल तोड़ देती हो
नज़दीकयों से खुद को परे रख कर ,इसलिए खुद हे छोड़ देती हो
क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
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