Monday, January 8, 2018

Lakh Jatan

कितने जतन किये इक तेरी हे खातिर अब बतलाऊँ क्या ?
बिक कर हस्ता रहा अब मर जाऊँ क्या ?
सियाही का खून बहा दिया मैंने
हज़ार दफा लिखा तुझे फर मिटा दिया मैंने
तेरी बेपरवाही को मैं अदा समझ बैठा
नादान था जो तुझसे प्यार कर बैठा
रंगीनियो के साथ रात गुज़ार दी मैंने
तेरी अय्याश यादों के संग नींदे गवा दी मैंने
मेरी नाकाम मोहबत को रफ़ी ,किशोर दिलासे दिया करते
वफादार है ये मेरे लफ्ज़ जो मेरे साथ हे रोया करते
मेरे दर्द किसी की राहत का सबब होंगे
वक़्त के शमशान में शान से दफन होंगे
तेरे इंतज़ार के इम्तेहान मैं सदा हे देता रहूंगा
आखरी साँस तक ज़िक्र हे लेता रहूंगा
तूने तो मझसे मुँह मोड़ लिया
चलो ये तो अच्छा  है की शायर बनाकर छोड़ दिया



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