Tuesday, January 30, 2018

Kiske Pass Hai?

बंध तिजोरी है वो
ताला किसके पास है ?
ज़बान पर  ताले लगे है
चाभी किसके पास है ?
चाभियाँ गुच्छों में टंगी  है
पर  हिम्मत किसके पास है ?
 चीखती चिल्लाती है ख़ामोशी
सुनने वाले कान  किसके  पास है ?
मशरूफ है अश्क़ बहाने में
सहलाने वाले हाथ किसके पास है ?
बिखर गए टुकड़ा -टुकड़ा
समेटने वाले दोस्त किसके पास है ?
नींदे गवार कर उक्त चुके है
पड़नेवाली ऑंखें किसके पास है ?
हर मर्ज़ की है जो दवा
वो मुस्कराहट किसके पास है ?
जो हर हालत में दे रही है सबूत अपने होने का
वो मोहब्बत किसके पास है ?

Monday, January 29, 2018

Tabah Kar Mujhe Aise....

तबाह कर मुझे ऐसे
की कायनात को तबाह कर सकूँ
दुआ कर तो कर ऐसे
की तमाम हसरते पूरी कर सकूँ
इश्क़ कर तो कर ऐसे
तुझ में टूटकर बिखर सकूँ
चाहत कर तो कर ऐसे
की दुनिया की चाहत को चाहत को मिटा सकूँ
नफरत कर तो कर ऐसे
की तेरे लिए अजनबी बन सकूँ
और वफ़ा कर तो कर ऐसे
की मिसाल दे सकूँ


Sunday, January 28, 2018

Tum Kese

तुम कैसे यूँ बेशर्मो की तरह इज़हार किया करते हो
काश मैंने भी ऐसा हे किया होता
ज़्यादा से ज़्यादा क्या होता
वो ना ही करता,
बस ये ना सुनना हे असहनीय  था मुझे

तुम कैसे यूँ मुझसे लड़ते-झगड़ते हो
अपना समझकर
काश मैंने भी यूँ तकरार की होती
ज़्यादा से ज़्यादा क्या होता
वो मुझे नज़रअंदाज़ हे करता
बस ये नज़रअंदाज़गी का अंदाज़ हे नहीं भाता था मुझे

तुम कैसे मुझसे शिकायत करते हो
काश मैंने भी शिकवे किये होते
ज़्यादा से ज़्यादा वो धुत्कार ही देता
बस ये धुत्कार हे स्वीकार नहीं थी मुझे

तुम कितनी कठोरता से मुझे मेरी खामियां गिनवाते हो
काश मैंने भी जुर्रत कर उसे आइना दिखाया होता
ज़्यादा से ज़्यादा वो चुप हो जाता
बस यह चुप्पी ही तो खलती थी मुझे

तुम कैसे यूँ जताते हो मुझे
काश मैंने भी तुम्हे जताया होता
ज़्यादा से ज़्यादा वो नाराज़ हे होता
बस ये नाराज़गी हे मंज़ूर नहीं थी मुझे

 तुम कैसे यूँ मुझपर हक़ दिखाते  हो
काश मैंने भी यूँ हक़ दिखाया होता
ज़्यादा से ज़्यादा वो सवाल हे करता
बस ये सवाल हे लाजवाब करते मुझे

तुम कैसे यूँ मानकर बैठे हो की मै तम्हारी हे हूँ
काश मैंने भी यह ठाना होता
ज़्यादा से ज़्यादा वो दूर हे चला जाता
बस उससे दूर रहना हे बर्दाश्त नहीं था मुझे




Saturday, January 27, 2018

Aseem Aparampaar Hai

भ्रम की हकीकत है
सपनों का सार है
कल्पनाओं का यथार्थ है
प्रतिमाओं में ढाला नहीं जा सकता
मालाओं में पिरोया नहीं जा सकता
वो असीम अपरम्पार है
रचनाओं का आगाज़ है
प्रेरणाओं की आवाज़ है
प्रतिमाओं में ढाला नहीं जा सकता
मालाओं में पिरोया नहीं जा सकता
वो असीम अपरम्पार है
चाहतों की वजह है
वो राहतों का सबब है
प्रतिमाओं में ढाला नहीं जा सकता
मालाओं में पिरोया नहीं जा सकता
वो असीम अपरम्पार है
होने से उसके उदासी उदास लगती नहीं
मुफ़लिसी में भी कोई कमी खलती नहीं
प्रतिमाओं में ढाला नहीं जा सकता
मालाओं में पिरोया नहीं जा सकता
वो असीम अपरम्पार है
आस्था का दर्शन है
अस्तित्व का वो दर्पण है
प्रतिमाओं में ढाला नहीं जा सकता
मालाओं में पिरोया नहीं जा सकता
वो असीम अपरम्पार है


Wednesday, January 24, 2018

Kya Tum Bhi?

क्या तुम भी मझसे मुँह मोड़ लोगे ?
बिच राह में हे साथ छोड़ दोगे ?
क्या तुम्हे पहचानने में गलती तो नहीं की ?
तुम्हारे करीब आने में कोई जल्दी तो नहीं की ?
क्या तुम भी उमीदे मेरी पैरो टेल रौंद दोगे ?
क्या तुम भी मन भर जाने पर मझे छोड़ दोगे ?
क्या तुम भी हसीन खाली खवाब बुनोगे ?
कुछ खास बात मुझ में से चुनोगे ?
क्या तुम भी मन भर जाने पर मझे छोड़ दोगे ?
क्या तुम भी मुझे मेरी खामियां गिनवाओगे ?
क्या तुम मुझसे दूर रह पाओगे ?
क्या तुम भी मन भर जाने पर मझे छोड़ दोगे ?
क्या तुम भी मुझे जगाकर,
नींदे मेरी चुराकर
मेरे जिस्म को अपनी राहतों का सबब बनाकर ?
बदले में कुछ नहीं तो अपनी छाप छोड़ दोगे ?
क्या तुम भी मन भर जाने पर मझे छोड़ दोगे ?
क्या तुम खिलौना मानकर टुकड़ा -टुकड़ा मुझे तोड़ दोगे ?
क्या तुम भी मन भर जाने पर मझे छोड़ दोगे ?





Tuesday, January 23, 2018

Dhoondho Mujhe

ढूंढो मुझे मै कही छुप जाऊँगा
आंखमिचोली में नरम मुस्कराहट दे जाऊँगा
बंद कर अपने परदे तमाम दुःख चुरा ले जाऊँगा
बेवफाई से घ्रस्त हो तम,तुझे अपनी वफ़ा बना लूंगा
चाहता हूँ तुझे इस कदर की बिन तेरे मर जाऊँगा
उन अनसुलझी हुई उलझनों को सुलझा जाऊँगा
ुनकाहे है वो किस्से सुन जाऊँगा
ज़माने ने बहुत  सताया है तुझे,तुझे मै नज़ारे दिखाऊँगा
नज़र कैद कर लूंगा तुझे,दुनिया की रस्मो से कही कोई दुनिया बसाऊंगा
कड़कती हुई धुप में तेरी छॉंव बन जाऊँगा
सजदे होंगे तेरे नाम के ,तेरी नाम की दुआ पढ़ जाऊँगा
तेरे लिए हे जी रहा हूँ ,तेरी ना पर मर जाऊँगा



Monday, January 22, 2018

Healing is a Sickness

He carved everything outta me
yet he was left unloved
i was real as a fantasy
he swallowed me all at once
our tongues were at war
 spewing venom and spitting dirt
he was overwhelming than I
skins melting into one
i offered myself a feast
and he digged and dugged
i fulfilled his starved tastes
yet he left me unheard
meant to heal
a sickness you became
ailing me at times
leaving me to ache
and we remain as if all okay
when all defenses came crumbling down
what all i saw with open eyes
all those pretty lies were crushed



Sunday, January 21, 2018

Kalam Uthai Maine

कलम उठाई मैंने ,तुमने लिखना छोड़ दिया
मैंने अल्फाज़ो से रिश्ता क्या जोड़ा ,तुमने वर्षो का नाता तोड़ दिया
कागज़ की प्यार भुजा दी मैंने ,तुमने सियाही को यु रोल दिया
कलम उठाई मैंने ,तुमने लिखना छोड़ दिया
मैंने जो टूटे-फूटे इज़हार किये
तुमने मुँह मोड़ लिया
अभी ही तो हुआ था कहानी आगाज़,तम्हारे किस्सों ने तोड़ दिया
कलम उठाई मैंने ,तुमने लिखना छोड़ दिया



This One

you are the accident i'll run into knowingly
the darkness i'll embrace eventually
the dream that keeps me awake
the redness running in my veins
pumping life into my system,keeping me in sync
i'm calm and collected
you know the commotion rumbling inside me
they shut me out,when i tried to speak
God Bless you,My Love,you let me breathe


Thursday, January 18, 2018

Insane In Each Other

 you slip through my fingers
 you tickle my feet
whisper in my ear
humming a song so sweet
kiss me and i descend into you
let no one invade our beds,
our private heaven
spilling,shredding
unraveling piece by piece
lets runaway,becoming a mystery
i turn phases through the night
close my shutters to get rid of the light
our world,a glittering dynamite
now don't walk away
now its too late
my skin imprinted with your timeless tales
my eyes echoing your untold stories

please stay even when i'm in a bad mood
or you know struck in between
clear the fogginess,unmess me


fingertips tracing a long lost country
my solace lies in you
sweet nothings,
hearts entangled
souls still beating


they call us mad,
insane i'm in you
insane your in me
melting in this aura
when the world's busy chasing destiny
disappearing,this waning moon
slow and steady



Tuesday, January 16, 2018

What If

what if the sun changed phases?
what if the moon never shone?
what if i'd breathe and suffocate?
what if paper tore through my core?
what if my tears wiped out the thirst of the world?
what if my fears turned into my friends,love became my foe?
what if my heart  split into two and still beat?
what if the noises were left unheard?
what if i saw sinners weep?
what if i never exist?
what if love happened?
what if there were no what if's?

would you still find me somewhere
lying in exile
searching for what if's.....



Monday, January 15, 2018

Tum Kyun Nahi Bolti

अरमानो की नदी को बहने से क्यों रोक लेती हो ?
विचलित मन को चाबुक से मार क्यों टोक देती हो ?
कुछ उलझने है अनसुलझी सी क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बात को बात बनाकर क्यों टाल  देती हो ?
वक़्त बिताने के लिए चाय बना लेती हो
दूर जाने के हज़ार बहाने भांप लेती हो
 क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
लभ तक आ चुके राज़ पर क्यों ताले लगा देती हो ?
शिकायत है कोई तो क्यों शिकवा नहीं करती हो ?
 क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
ख्याल आता है जब माज़ी का तो तुम कैसे सेहम जाती हो
चट्टानों से तकराकर तुम हारी हुई लेहरो सी क्यों टूट जाती हो ?
मै पढ़ना चाहता हु तम्हे ,तुम क्यों इस बंध किताब को नहीं खोल पाती हो ?
 क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?
बेवफाई का हो चुकी हो शिकार इसलिए दिल तोड़ देती हो
नज़दीकयों से खुद को परे रख कर ,इसलिए खुद हे छोड़ देती हो
 क्यों नहीं कुछ बोल देती हो ?












Saturday, January 13, 2018

Leh Chale Mujhe Wahan

ले चल मुझे वहाँ
खुली सड़के
खुली हवा हो जहाँ
ले चल मुझे वहाँ
तंग हूँ गलियां
कूँचे से लदे घर हो जहाँ
छत पर नंगे पांव हो इश्क़ का शामियाना
ले चल मुझे वहाँ
पैसे की हो तंगी
जेब में हो मंदी
पर दिल हूँ बड़े वहां
ले चल मुझे वहाँ
सजा हो बाज़ार
रौनके हूँ हज़ार
खुशियों की हो बहार जहाँ
ले चल मुझे वहाँ
हकीकत  सपने की तरह
 बस्ता हो खुदा जहाँ
ले चल मुझे वहाँ





Jin Din Hum Mile

जिस दिन हम मिले
आतिशों से चमकेगा ये आसमान
फूटेगा मस्तियों का झरना
रोशन होंगे भुजे हुए चिराग
नज़ारा होगा वो बा-कमाल
जिस दिन हम मिले
आएगी मेरी जान में जान
कलियाँ खुशियों से खिलेंगे
नज़रें शर्म ओह हया की पर्दो में मिलेंगी
चाहते टूटकर बिखरने लगेंगी
बेचैनी धड़कनो की बढ़ने लगेंगी
जिस दिन हम मिले
दरमियान थी जो दीवारे सब गिरने लगेंगी
होश में बेहोशी सा मज़ा आएगा
गला मेरा सुख जायेगा
जिस दिन हम मिले
थम जायेगा वक़्त वही पर
लापता होंगे हम कही पर
जिस दिन हम मिले
तुमको पाकर खुद को खोऊँगा
सीने से लगाकर रज के रोऊँगा



Thursday, January 11, 2018

Yaad Teri Nahi Aayi

टूटी हुई चुडिओयों से जुड़ती है कलाई
पुराने हुए दुपट्टे पर करती है सिलाई
दिलबर से बेवजह से हे करती है लड़ाई
उधेड़ दी है उसने रिश्तो तुरपाई
सिसकती हुयी सुर्ख नींदो में रात उसने है बिताई
रेशमी रुमाल पर करती तेरे नाम की कड़ाई
सख्त मुकदर पर नरम चाहते की है बुनाई
खली से खवाब खुली आँखों से देख आयी
इश्क़ की पौड़ी पर करती है चढाई
टाल देती है कहकर की याद तेरी कभी नहीं आयी


Tuesday, January 9, 2018

Tum Bolo

खोलकर दिल के दरवाज़े ज़रा राज़ तुम बोलो
ज़िद्द करे जो ये पलकों की खिड़कियां जबरन इन्हे खोलो
सह चुके हो कितना अब तो इस छुपी से ताले हो तोड़ो
उलझनों में मत उलझो,नाकामियों से न मुँह मोड़ो
शब्दों को तुम बाण बनाकर वाणी के धनुष पर छोडो
कुछ ठीक है ,कुछ ठीक नहीं है,गलत है या सही,इतना खुद को मत तोलो
कम ांकिते है वो तुमको,उनके व्यर्थ वचनो को मत भूलो
अब हो चुकी है बहुत देर,तुम शोर मचाओ,
चीखो चिल्लाओ,मत गभराओ
गुंगु की आवाज़ बनो ऊँचे स्वर में
इस अंधेर नगर में
हल्ला  बोलो



Monday, January 8, 2018

Lakh Jatan

कितने जतन किये इक तेरी हे खातिर अब बतलाऊँ क्या ?
बिक कर हस्ता रहा अब मर जाऊँ क्या ?
सियाही का खून बहा दिया मैंने
हज़ार दफा लिखा तुझे फर मिटा दिया मैंने
तेरी बेपरवाही को मैं अदा समझ बैठा
नादान था जो तुझसे प्यार कर बैठा
रंगीनियो के साथ रात गुज़ार दी मैंने
तेरी अय्याश यादों के संग नींदे गवा दी मैंने
मेरी नाकाम मोहबत को रफ़ी ,किशोर दिलासे दिया करते
वफादार है ये मेरे लफ्ज़ जो मेरे साथ हे रोया करते
मेरे दर्द किसी की राहत का सबब होंगे
वक़्त के शमशान में शान से दफन होंगे
तेरे इंतज़ार के इम्तेहान मैं सदा हे देता रहूंगा
आखरी साँस तक ज़िक्र हे लेता रहूंगा
तूने तो मझसे मुँह मोड़ लिया
चलो ये तो अच्छा  है की शायर बनाकर छोड़ दिया



Sunday, January 7, 2018

Leh Aaya Hu

घर तोड़कर छत ले आया हूँ
जान मांगी थी जान ले आया हूँ
एहसान नहीं है कोई तेरी अमानत तेरे पास ले आया हूँ
आग लगायी थी तूने ,भुजा मै आया हूँ
घर तोड़कर छत ले आया हूँ
तू तो करती है नज़रअंदाज़,तेरी याद के साथ रात बिता आया हूँ
अब मत शर्माना पर्दो की परतो में लाली चेहरे पे ले आया हूँ
घर तोड़कर छत ले आया हूँ
तेरी कशिश है की नफरत में ताज़ा गुलदस्ता ले आया हू
बहुत तप चुके है,सुर्ख नींदो के लिए खाली से खवाब ले आया हूँ
फ़िक्र मत कर झोली भर कर उमीदे ले आया हूँ
घर तोड़कर छत ले आया हूँ
जान मांगी थी जान ले आया हूँ



Thursday, January 4, 2018

Lafz

सियाही का ख़ून कर निखरते है ये लफ्ज़
नोक चुभोकर कागज़ को ज़ख़्मी कर उभरते है ये लफ्ज़
कोई रोकता नहीं इन्हे ,सरेआम क़त्ल करते है ये लफ्ज़
क्यों इन्हे कोई सजा नहीं देता ?
लफ्ज़ो पर लफ्ज़ मरते है
 लफ्ज़ो से लफ्ज़ डरते है
फसाकर लफ्ज़ो को लफ्ज़ खुद हे पर हस्ते है
क्यों इन्हे कोई सजा नहीं देता ?
गुनाह सारे लेखक के सर मढ़ते है
बिना हथियारों के वार करते है
हम बेचारों का कहाँ कोई कसूर,हुक्म की तामिल किया करते है
क्यों इन्हे कोई सजा नहीं देता ?