पिता का हृदय, पुत्र का स्वप्न
माँ-बाप के हृदय में तुम हो बसे,
अपने जीवन का तुम हो सबसे बड़ा निवेश।
तुम्हारी मुस्कान, मेरी खुशी,
तुम्हारी आँखों में देखूँ मैं स्वर्ग की छवी।
तेरी शरारतों में मेरा बचपन लौट आता,
तुझसे सीखता हूँ, हर पल नया गाता।
माँ का लाडला, दादी का नन्हा सा नवासा,
सबकी नज़रों का तारा, तू ही मेरा आशा।
तुझसे ही तो मिला है मुझे मान,
तुझसे ही तो मिला है गौरव का अहसान।
तू ही मेरा जीवन, तू ही मेरी जान,
तुझे खोने का डर, मुझे करता है बेमान।
तेरी ज़िद्दें देखकर, दिल होता है उदास,
क्यों नहीं समझता तू, ये पिता का प्यार बड़ा गहरा।
तुझसे बहस करना, मुझे देता है दुख अथाह,
क्यों नहीं समझता तू, मैं हूँ तेरा हमसफ़र सदा।
हमेशा दोराहे पर खड़े रहेंगे,
फिर भी तुझसे प्यार करते रहेंगे।
तुझसे चिढ़ते हैं, मगर दिल से चाहते हैं,
कि तू हमेशा खुश रहे, ये ही हम चाहते हैं।
तेरे आँसू देखकर, मेरा दिल रोता है,
तू क्यों नहीं समझता, मैं तेरा कितना ख़याल रखता हूँ।
ये दुनिया कितनी बड़ी है, ये तुझे समझाना चाहता हूँ,
तू बस मेरी बातों को दिल में बसाना चाहता हूँ।
तू हार मत मानना, मुश्किलों से डरना मत,
मैं तेरा साथ दूँगा, हर कदम पर।
तू मेरा गौरव है, मेरी पहचान,
तू ही मेरा सब कुछ, ये है मेरा मान।
ना समझ हो तू, ये बातें मेरी,
मगर पिता का दिल, ये जानता है तेरी ज़रूरत।
ये सारी आदतें, मुझसे ही सीखी हैं,
मगर तू मेरा बेटा है, ये कभी मत भूलना।
मैं तुझे खोना नहीं चाहता,
तू हमेशा मेरा साथी रहेगा।
तन्हाई का डर, मुझे सताता है,
तू ही मेरा सहारा, ये बात याद रखना।
मुझे यकीन है, तू मेरा सहारा बनेगा,
मेरे बुढ़ापे में, मेरा साथ निभाएगा।
तुझे बस खुश देखना चाहता हूँ,
ये ही मेरा आखिरी ख्वाब है।