Thursday, September 19, 2024

Sabr Karo Mere Yaar

 कस ली है ना तुमने फंदे की गांठे 

इससे पहले तुम चल बसों सुनते जाओ मेरी बाते।  


मैंने पूरे इतिहास को खंगाला 

और फिर ये निष्कर्ष निकाला।  


इससे भोगना पड़ता है अनंत तक संताप 

आत्मघात है सबसे श्रेष्ठ पाप।  


और तू क्या समझता है सीधा भगवान् के पास पहुँचजायेगा 

मन मर्ज़ी ईश्वर से शिकायत लगाएगा।  


तू तो बस यूँही लटका रहेगा 

ना मिलेगा मोक्ष माया में भटकता रहेगा।  


हां मैं तेरी सभी समस्याएं जानती हूँ 

और तेरी व्यथाओं को पहचानती हूँ। 


कर प्राणो का हरण जब रावण ने प्रहार किया 

क्यों  ना  मोड़ धनुष को राम ने खुद पर हे वार किया? 


क्यों ना बिछाई कृष्णा ने स्वयं की शर शैय्या 

जब छूट गयी नगरी , मुरली, वंश,राधा और मैया।  


जब गुरु नानक के पीछे लोग पत्थर लिए भागे 

क्यों नहीं उन्होंने प्राण वहीं त्यागे।  


जब गोविन्द ने वार दिए थे अपने लाल 

क्यों नहीं उठायी किरपान खुद पर क्या उन्हें नहीं हुआ मलाल ?


अपनों ने ही अपनों पर घात किया 

अब बताओ इनमें से कितनो ने आत्मघात किया ?


तुम्हारी धम्मीयो में बहता  रक्त इनकी ही तो निशानी 

अब बताओ किस बात की परेशानी है ? 


ये ज़रा सी हवाओं से तुम यूँ डोल रहे हो 

"मरना चाहता हूँ मैं " तुम ये बोल रहे हो।  


दीपक हो तुम जो अँधियो में जला करते है 

क्या पर्वत भी लेहरो से डरा करते है ?


दिशाओ दोगे तुम , तुम्हे मार्गदर्शक बनना होगा 

प्रतिनिधि बन सभी का तुम्हे रण में उतरना होगा।  


इस रणभूमि में जो विचलित मन पर विजय पायेगा 

पताका चमकेगा उसी का वो चक्रवती कहलायेगा।  


आशीषो का सावन होगा 

तुम देखना दृश्य बहुत पावन होगा। 


ह्रदय को मजबूत बनाओ 

संकटो के समक्ष दिवार बन तन जाओ। 


अब भी समय मत मानो यूँ हार 

ज़िन्दगी बहुत बड़ी ज़रा सब्र करो मेरे यार।  

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