Sunday, April 2, 2017

Nashe Mein Hoon

आज नशे में हूँ
आज सच में नशे में हूँ
बहका हुआ सा , महका हुआ सा
कितने नशे में हूँ
अब तुम पूछोगे कौन- से नशे में
जाओ ना, तुम कितने कमज़ोर हो
तुम्हारा नशा तो उन रंगीन बोतलों में भर कर आता है
और बुलबुलों में काफिर हो जाता है
और यहाँ मेरा नशा तुमसे आता है
ज़िक्र होता है जब तुम्हारा
यह नशा बढ़ता हे जाता है
हाय ये मेरा नशा
नहीं! नहीं! नहीं!
ये नशा नहीं प्यार का
प्यार का नहीं है ये नशा
मैं तो यूँही बिखर गया हूँ
टूटने में कितना नशा
और तुझ में बरबाद होने में कितना मज़ा
एक तेरी ही वजह से बेमतलब सी ये दुनिया हो गया है
बेमतलब सा है ये जीना हो गया है
इतने वाकिफ है हम तेरी बेवफाई की आदतों  से
की अब तो सच और झूठ में भी फर्क करना कम हो  दिया है
यह जो मुझे तेरा बेइंतेहा नशा हो गया है




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