बड़े मुश्किलों से तुम मेरे हाथ आये हो
क्या -क्या चुगली की है तुमने खिलाफ मेरे क्या बात लाये हो।
यहीं ना की मैं निकट्ठू नल्ला सीधा -सादा हूँ
जैसे मैं हे राहु -केतु हूँ , खुद की बाँधा हूँ।
जहां -जहाँ मैंने अपनी किस्मत आज़मायी
वही हो गयी मेरी हिम्मत दर्शायी।
और जानते हो ना तुमने मुझसे क्या -क्या नहीं छीना
घर,अपने,दोस्त,ज़र और मेरी प्यारी मीना।
यूँ तो तुम मुझसे पीठ कर बैठे हो
लेकिन मुझे बुरा से भी बुरा वक़्त दिखाकर तुम यूँ ऐंठे हो।
तुझे रहम नहीं मुझ पर इतना गरूर भी ठीक नहीं
तेरे हे बनाया हूँ , मैं कोई भीख नहीं।
अब लगाम दे ज़ुबान पर की मैं तुझे बताता हूँ
सचाई का सामना करवाता हूँ।
खूब हिमायती है तू माथे रगड़े हैं मेरे दर पर कोसता है तू हाथो की लकीरो को
तानाशाहों के आगे झुका हुआ है , खुश करता है अमीरो को।
मैंने तेरी झोली अवसरों से भरी
लेकिन सभी कोशिशे रह गयी धरी -की -धरी
और तू बात करता है दोस्ती ,प्यार की ?
उस नकली ऐतबार की ?
शूकर मना की तुझे मैंने आईना दिखाया है
नकाबपोशों का नकाब हटाया है।
ज़रा जल जलती रेत में कटे ,दबे पैरो पर छाले
उठ खड़ा हो अब तो मैं भी हूँ साथ तेरे अब तो कुछ कमा ले।
मैं चाहता हूँ तू हाथ लम्बे कर -कर सारी दुनिया को परोसे
और मेरे भरोसे मत बैठए जनाब क्या पता भगवान बैठा हो आपके भरोसे।
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