Tuesday, July 24, 2018

Hadh se Guzar Gaye

मेरे मथे तूने अपने गुनाह कर दिए
नशे में तो जहाँ है सारा
पाँव क्या लडखडाये मेरे
तूने अपने इरादे  बदल दिए
तू होश में होकर मधहोश रहता है
बस मेरे लक्षण कुछ ऐसे थे जो छुप ना सके
कमाल है तेरी वफ़ा का इंतज़ार किया मैंने
और तुम दुसरो की राह पर दिए
आदत थी मुझे धोखो की
आह मेरी निकली तब तूने ज़ख्म हरे कर दिए
तुम नापते रहे हद मेरी
और एक हम थे पागल जो हद से गुज़र से गए

Friday, July 6, 2018

Aa Toh Zara

उक्त चूका हूँ मसरूफ होकर
तू एक बार बुला  तो ज़रा
थक गया हूँ किनारे नाप कर
तू मुझे डूबा तो ज़रा
भुझे हुआ चिराग हूँ एक मुद्दत से
एक बारी चिंगारी भड़का तो ज़रा
राहते बनकर तेरे सुर्ख ज़ख्मो को सेहलाऊँगा
तू करीब आ तो ज़रा
कफ़न बांधे   बैठा हूँ कब से
बस तू मुस्कुरा तो ज़रा
कर लूंगा गरूर खुद पे
तू नज़रे मिला तो ज़रा
बहा दूंगा सियाही तेरा ज़िक्र गढ़कर
तू दूर जा तो ज़रा
हद में इस कदर गुज़र जाऊँगा
तू मझे आज़मा तो ज़रा

Tuesday, July 3, 2018

Nazm

बादलो के सफर पर निकले थे हम
पर्वतो से टकरा गए
आफतों की आदते थी हमेशा से हे
चमकती रौशनी देखकर गभरा गए
रात खटमल सी काट कर लहू चुस्ती है मेरा
घिसा जब पथरो पर खुद को तो ज़ख्म नरमा गए