Tuesday, August 20, 2024

Rona Ravan Ka

 सुना है वो आया है 

जो देवी को हर कर लाया है 

साम -दाम -ढंड -भेद करके भी 

उसकी परछाई को भी न छू पाया है।  


ये बाते जब रावण का कानो में पड़ी 

मच गयी फिर खलबली 

पिघले पर्वत आँखों से और बहने लगी अश्रुधारा 

त्राहि -त्राहि कर उसने तीनो लोको को पुकारा।  


हाँ -हाँ मैं सब मानता हूँ 

अपने पाप को बाखुभी पहचानता हूँ 

लोभ मेरा सार्थी था अंधेरो पर मैंने राज किया 

अपने पंजो से नोच -नोच कर अपने भाई का राज पाठ हङप लिया।  


वासना की बातो में आकर मैंने खुद को यूँ बदनाम किया 

स्त्रीयो का मैंने अपमान किया। 

गुनाहो का देवता हूँ मैं , झूठ की मैं मुहृत हूँ 

गिद्ध चिथड़े कर गए है जिनकी लाश से भी बत्सुरत हूँ। 


लेकिन उनका क्या जो राम की मौखटे लगाते है 

राम -नाम की आड़ लेकर ना जाने कितने अपराध छुपाते हैं

आजकल रावण ही रावण को जलाते है।  


याद रहे मैं वहीं हूँ जिसने शीश काट-काट कर शिव को मनाया था 

चहुवेद का ज्ञान जिसकी रग -रग में समाया है।  

अंतिम श्वास में लक्ष्मण का पाठ पढ़ाया 

और जिसे तारने स्वयं हरी ने अवतार लिया आया था।  


आज अपने अंतर्मन में झांको 

तोल -मोल  कर देखो कितने राम और रावण हो ज़रा खुद को नापो।  





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