सुना है वो आया है
जो देवी को हर कर लाया है
साम -दाम -ढंड -भेद करके भी
उसकी परछाई को भी न छू पाया है।
ये बाते जब रावण का कानो में पड़ी
मच गयी फिर खलबली
पिघले पर्वत आँखों से और बहने लगी अश्रुधारा
त्राहि -त्राहि कर उसने तीनो लोको को पुकारा।
हाँ -हाँ मैं सब मानता हूँ
अपने पाप को बाखुभी पहचानता हूँ
लोभ मेरा सार्थी था अंधेरो पर मैंने राज किया
अपने पंजो से नोच -नोच कर अपने भाई का राज पाठ हङप लिया।
वासना की बातो में आकर मैंने खुद को यूँ बदनाम किया
स्त्रीयो का मैंने अपमान किया।
गुनाहो का देवता हूँ मैं , झूठ की मैं मुहृत हूँ
गिद्ध चिथड़े कर गए है जिनकी लाश से भी बत्सुरत हूँ।
लेकिन उनका क्या जो राम की मौखटे लगाते है
राम -नाम की आड़ लेकर ना जाने कितने अपराध छुपाते हैं
आजकल रावण ही रावण को जलाते है।
याद रहे मैं वहीं हूँ जिसने शीश काट-काट कर शिव को मनाया था
चहुवेद का ज्ञान जिसकी रग -रग में समाया है।
अंतिम श्वास में लक्ष्मण का पाठ पढ़ाया
और जिसे तारने स्वयं हरी ने अवतार लिया आया था।
आज अपने अंतर्मन में झांको
तोल -मोल कर देखो कितने राम और रावण हो ज़रा खुद को नापो।
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