Thursday, April 20, 2023

Apni Niji Bhagwan

पढ़ -पढ़ पौथी पंडित नहीं होते 

और गंगा -काशी में डूबने से पाप साफ़ नहीं होते। 

चढ़ -चढ़ पहाड़ तुम ईश्वर को क्यों पुकारते हो 

नाम ढूंढते हो तुम उसका अक्षरों में क्यों उसे बुलाते हो। 

सोना -चांदी , फूल -चन्दन सजाकर थाल तुम पथरो पर चढ़ाते हो

और मुसीबतो में रिश्वत देकर तुम भगवान्  को रिझाते हो।  


थोड़ा सुधर जाओ !

वापिस घर लौट कर आओ , 

जहाँ साक्षात है विराजमान है 

हम भी भटके हुए है 

माँ-पिता हे अपने निजी भगवान्  है


इनसे कहो न कहो ये फिर भी समझ जाते है 

शैतान भी करता है खौफ ,माँ की एक दुआ से सभी बालाएं ताल जाती है। 

और माँ का औदा क्या है आज मै तुम्हे समझाता हूँ ,

इस्लाम , सिखी , ईसाहि और सनातन धर्म बताता हूँ ,

मुहम्मद -नानक -मसीह  और राम जब- जब मानवता को बचाने आये है 

माँ की कोख से उतर कर धरती पर अवतरित आये है।  


फिर इस नर -नारी के भेद का तुम क्यों हल्ला बोलै करते हो 

सब सृष्टि रची है जब जननी ने फिर क्यों तुम बेवजह मुँह खोला करते हो।  


अब बस करो ,  चुप हो जाओ 

और जल्दी जाकर माँ के गले से लिपट जाओ 

उसके आगे शीश झुकाओ 

और पैर धो कर माँ की चरणमित को सर-माथे लगाओ। 

अब मत रहो तुम इतने अनजान 

माँ -पिता हे है अपने निजी भगवान्  



 

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