Saturday, April 14, 2018

Mard

बेहयाई से नापते है वो
पैमाना मेरी हया का
ज़रूरी वो मर्द जात के होंगे
बेइज़्ज़त कर परखते है वो
मेरी इज़्ज़त का तकाज़ा
ज़रूर वो  मर्द जात के होंगे
बतमीजी से अंदाज़ा लगाते है वो
मेरी तमीज़ का
ज़रूर  मर्द जात के होंगे
आवाज़ दबाकर पूछते है वो
की चुप क्यों हो
ज़रूर  मर्द जात के होंगे
जुबां काटकर कहते है वो
की बेज़ुबान क्यों हो
ज़रूर वो  मर्द जात के होंगे
जुर्रत नहीं किसी में उन्हें रोकने की
ज़रूर वो  मर्द जात के होंगे


No comments:

Post a Comment