मसरूफ होता हूँ तो हसना हसाना पड़ता है
कामभाल उड़कर दिल के दर्द को छुपाना पड़ता है
फुर्सत मिले जो पल दो पल की
तो चार आंसू बहा लिया करता हूँ
तकलीफो को दिलासे दे लिया करता हूँ
और क्या करूँ, किसे कहूं
पर छुपकर से रात के कान में फुसफलाया करता हूँ
मरहम उन कभी ना वाले ज़ख्मो पर लगा लिया करता हूँ
मैं अपने बेहाल दिल को बहलाया लिया करता हूँ
मौखटे को पहनकर सभी के सामने नकली रहना पड़ता है
उस नकलियत के रिश्तो से अपना दामन छोड़ा लिया करता हूँ
तन्हाई में घूम का जश्न मन लिया करता हूँ।
कामभाल उड़कर दिल के दर्द को छुपाना पड़ता है
फुर्सत मिले जो पल दो पल की
तो चार आंसू बहा लिया करता हूँ
तकलीफो को दिलासे दे लिया करता हूँ
और क्या करूँ, किसे कहूं
पर छुपकर से रात के कान में फुसफलाया करता हूँ
मरहम उन कभी ना वाले ज़ख्मो पर लगा लिया करता हूँ
मैं अपने बेहाल दिल को बहलाया लिया करता हूँ
मौखटे को पहनकर सभी के सामने नकली रहना पड़ता है
उस नकलियत के रिश्तो से अपना दामन छोड़ा लिया करता हूँ
तन्हाई में घूम का जश्न मन लिया करता हूँ।
No comments:
Post a Comment