Sunday, December 27, 2020

नज़्म

 दुर रहो इश्क से ये एक बुरी बला है 

 टालते-टालते रह गया पर ये सवाल कहाँ चला है 


सुख गए लफ्ज़ मेरे 

खुश्क गला है 


चाँदनी में धुली  है  वो 

सूरज से  उबटन मला  है 


मुद्दत से कैद है 

ये वक़्त का आँसु कहाँ ढला है 


अब भी  है  वक़्त की रूक कर सजदे  कर लो

तेरे कुचे से वफ़ा का जनाज़ा चला है 


बेकदरो पर क्यो है इलज़ाम 

जनाब दिल तोड़ना भी एक कला है 




 








Saturday, December 12, 2020

Nazm

 सफ़र बेसब्री का कटेगा नहीं 

अब दर्द मुझसे  बांटेगा नहीं 


मुद्दत हो गई  राह तकते 

नज़रों का खालीपन छंटेगा नहीं


सहरा पर है नाम लिखा

मुकर्रर है वो मिटेगा नहीं 


अड़ियल है जो दिल से 

यु हटेगा नहीं 


ये भी सच है कि खिलाफ़ हमारे 

वो डटेगा नहीं 


इज़्ज़तो का पैमाना है 

अब घटेगा   नही 


बचा लो दामन इस रोग 

से कोई बचेगा नहीं 


तोहमते कसेगे ज़माने वाले 

तु साथ मेरे जचेगा नहीं