एक वो कोने में मुँह लटकाये बैठे है
और एक वो है जो शिकवे में ैथे है
चारो कोने चित है ,हिम्मत भी यु हारी है
अब जो जीते है तो इनाम में क्या पाएंगे
मझे बदनसीब से ना जाने क्या -क्या छीन ले जायेंगे
हमनवा जो बेवफा ,साथी भी साथ छोड़ गए है
अकेला हु मै ,ग़म मझे झिंझोड़ गए है
अब छुपी साधे ज़ख्मो को सी रहा हु
नामकीनियत के घूँट पी रहा हु
तम्हे क्या मालूम किस कदर जी रहा हु
और एक वो है जो शिकवे में ैथे है
चारो कोने चित है ,हिम्मत भी यु हारी है
अब जो जीते है तो इनाम में क्या पाएंगे
मझे बदनसीब से ना जाने क्या -क्या छीन ले जायेंगे
हमनवा जो बेवफा ,साथी भी साथ छोड़ गए है
अकेला हु मै ,ग़म मझे झिंझोड़ गए है
अब छुपी साधे ज़ख्मो को सी रहा हु
नामकीनियत के घूँट पी रहा हु
तम्हे क्या मालूम किस कदर जी रहा हु