Monday, February 26, 2018

Darr sa Lagta hai

इन खिड़कियों को अब खोलने से डर लगता है
आसमान को नापने से डर लगता है
बुनने  लगता हु सपनो में तो खोने से डर लगता है
कल्पनाये पिरोने लगता हु जब ,तो खुद को ढूंढने से डर लगता है
चैन से सोना  हूँ पर सोने से डर लगता है
आवाज़ देकर चौंका देती है ये भोज से लद्दी किताबे मुझे
अब तो किताबे खोलने से भी डर सा लगता है
मै कूदकर ,दौड़कर चढ़ जाऊँगा ये सीढ़ियां
पर क्या करूँ नन्हे से है ये कदम ,ऊंचाइयों से डर लगता है



Monday, February 19, 2018

Dosti

गर शुक्रियार कह दू गलती से तो तेरा एक धार देना
मेरी मलेरिया से घ्रस्त चुटकुलों पर ठहाके मार कर है देना
मेरे नए दोस्तों से तेरा जलना
तेरे आगे हर नकलियत का कम पड़ना
तेरे लंच में भिंडी लाना और मेरा सब चट  कर जाना
गुप्षुप के चटकारे लगाना
जो कोई बोले मेरे खिलाफ तो तेरा उम्र की फटकार लगाना
फ़ोन देर से उठाने पर तेरी मीठी गालियां
गालों पर छपी तेरी उंगलियों की लालियाँ
मेरा टूटकर बिखरना
तेरा मुझे समेटना
मेरा बच्चो सा दिलगी करना
तेरा सियानो सा मुझे समझना
ये सब झूठे व्यादे करते है
खाली बातो के दावे करते है
तूने मुझे चाशनी सी तार में नहीं तोला
जो भी था ,जैसा भी था मुँह पर बोला
तेरी बस के आगे किसी का बस नहीं चलता
ये तो सच है की ढूंढने पर भी नहीं मिलता
सिखलाया है मुझे दोस्ती का दस्तूर निभाना
तेरी वजह के आगे हर वजह का कम पड़ जाना
तेरी मेरी यारी ,सारी दुनिया महज़ अफसाना





Monday, February 5, 2018

Pachta Raha Hu

परिन्दो सा मै आलिशान महलो से टकरा रहा हु
लापता है मंज़िल ,लापता हु मै भी
फिर भी कदमो के पीछे चलता जा रहा हु
खाने को नहीं है निवाला ,बस धक्के और ठोकरे खा रहा हु
पीछे जिन्हे छोड़ आया हु ,अतीत समझकर
आज उस फैसले पर पछता रहा हु
हर रोज़ नयी मौत मरता जा रहा हु
नज़रें बिछाई बैठी है वो मेरी राह में
उसके इम्तेहान बड़ा रहा हु
हाल पूछे कोई तो यूँही
सब ठीक है कहकर टाले जा रहा हु
पर माँ का फ़ोन आते ही
भीगी आँखों के संग मुस्कुरा रहा हु