इन खिड़कियों को अब खोलने से डर लगता है
आसमान को नापने से डर लगता है
बुनने लगता हु सपनो में तो खोने से डर लगता है
कल्पनाये पिरोने लगता हु जब ,तो खुद को ढूंढने से डर लगता है
चैन से सोना हूँ पर सोने से डर लगता है
आवाज़ देकर चौंका देती है ये भोज से लद्दी किताबे मुझे
अब तो किताबे खोलने से भी डर सा लगता है
मै कूदकर ,दौड़कर चढ़ जाऊँगा ये सीढ़ियां
पर क्या करूँ नन्हे से है ये कदम ,ऊंचाइयों से डर लगता है
आसमान को नापने से डर लगता है
बुनने लगता हु सपनो में तो खोने से डर लगता है
कल्पनाये पिरोने लगता हु जब ,तो खुद को ढूंढने से डर लगता है
चैन से सोना हूँ पर सोने से डर लगता है
आवाज़ देकर चौंका देती है ये भोज से लद्दी किताबे मुझे
अब तो किताबे खोलने से भी डर सा लगता है
मै कूदकर ,दौड़कर चढ़ जाऊँगा ये सीढ़ियां
पर क्या करूँ नन्हे से है ये कदम ,ऊंचाइयों से डर लगता है