घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है,
यहाँ जग -मग करती लड़ियों की जगह मकड़ियां पश्मीना
से सूनी दीवारों को सजाती हैं ,
मेहनत कर, दिन भर
थकी हारी चींटियां घर की ओर जाती हैं,
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है,
एक है जो किसी की भी नहीं सुनती है ,
ख़ामोशी अपना राग अलापा करती है,
और जो ज़ुर्रत हो मेरी उसे अनसुना करने की
नाराज़ हो कर चुप सी हो जाती है,
पर जब मानो उसकी हर बात
पुराने पर्दो में हे जान आती है,
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है,
एक तन्हाई मेरी साथी है
रंगीन बोतलों के बुलबुले से परे एक नए नशे में ले जाती है,
वो कहते हैं की अँधेरा उन्हें डराता है
काला साया उन्हें सताया करता है
पागल है वो जो इतनी सी भी बात नहीं समझ पाते हैं
रात में रूह आराम पाती है,
हरे ज़ख्मो पर मरहम बनकर ठंडक पहुंचाती है
हैं हूँ अजीब इसलिए दुनिया से परे भी एक दुनिया बस्ती है
क्या बताओ दोस्त ये कड़वी हकीकतों से सस्ती है
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है
यहाँ जग -मग करती लड़ियों की जगह मकड़ियां पश्मीना
से सूनी दीवारों को सजाती हैं ,
मेहनत कर, दिन भर
थकी हारी चींटियां घर की ओर जाती हैं,
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है,
एक है जो किसी की भी नहीं सुनती है ,
ख़ामोशी अपना राग अलापा करती है,
और जो ज़ुर्रत हो मेरी उसे अनसुना करने की
नाराज़ हो कर चुप सी हो जाती है,
पर जब मानो उसकी हर बात
पुराने पर्दो में हे जान आती है,
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है,
एक तन्हाई मेरी साथी है
रंगीन बोतलों के बुलबुले से परे एक नए नशे में ले जाती है,
वो कहते हैं की अँधेरा उन्हें डराता है
काला साया उन्हें सताया करता है
पागल है वो जो इतनी सी भी बात नहीं समझ पाते हैं
रात में रूह आराम पाती है,
हरे ज़ख्मो पर मरहम बनकर ठंडक पहुंचाती है
हैं हूँ अजीब इसलिए दुनिया से परे भी एक दुनिया बस्ती है
क्या बताओ दोस्त ये कड़वी हकीकतों से सस्ती है
घर में मेरे दिवाली कहाँ मनाई जाती है
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