जबसे तू और मै घर पर है
कम पड़ती है उँगलियाँ की इतने तारे अब शभ पर है
परियो से लगते है दिन की परिंदे चहचहाते नभ पर है
जबसे तू और मै घर पर है
साँस ले रही है हाफति ज़िन्दगी
अब जब कटता वक़्त पल-पल है
कलम-कागज़ भी तरसते नहीं
ख्याल जो उपजते हर दम है
जबसे तू और मै घर पर है
सुनते है ख़ामोशी के क़िस्से
पुराणी आदते करती छन-छन है
जश्न मनाती है तन्हाई,खिलखिलाकर हस्ता हूँ मैं
लौट आया वो बचपन है
जबसे तू और मै घर पर है
कम पड़ती है उँगलियाँ की इतने तारे अब शभ पर है
परियो से लगते है दिन की परिंदे चहचहाते नभ पर है
जबसे तू और मै घर पर है
साँस ले रही है हाफति ज़िन्दगी
अब जब कटता वक़्त पल-पल है
कलम-कागज़ भी तरसते नहीं
ख्याल जो उपजते हर दम है
जबसे तू और मै घर पर है
सुनते है ख़ामोशी के क़िस्से
पुराणी आदते करती छन-छन है
जश्न मनाती है तन्हाई,खिलखिलाकर हस्ता हूँ मैं
लौट आया वो बचपन है
जबसे तू और मै घर पर है