Sunday, May 12, 2019

Ma...

उमीदे उसकी मेरी हथेलियों में साँस लेती है
बिखरने लगता हूँ जब वो मुझे बांध लेती है
लड़खड़ाते है जो कदम वो मुझे संभाल  लेती है
टूटने नहीं देती वो रहती है सहारा बनकर
अल्हड नदी सा बेहता हु मै ,वो थाम लेती है किनारा बनकर

लम्हो की सियासतों में धक्के खा रहा हु
मुझे माफ़ करना माँ  की तुझे वक़्त नहीं दे पा रहा हु। ...